2/29/2020

जापान के नागरिक के कोई दो कर्तव्य

सोर्स : गूगल इमेजेज
हमें यह बात समझनी होगी कि जापान एक ऐसा देश है जो द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका से पराजित हो चुका है। ऐसे में उसकी कुछ मजबूरियां थीं। उसे अमेरिका के निर्देश पर अपना संविधान रचना पड़ा।
जाहिर सी बात थी कि इसमें सारी चीजें अमेरिका के इच्छा के अनुरूप रखनी पड़ी। जैसे जापान सशस्त्र सेना नहीं रख सकता। उसे सशस्त्र सेनाओं की जगह आत्मरक्षा बल या सेल्फ़ डिफ़ेंस फ़ोर्स (एसडीएफ) ही रखने का अधिकार है। इसी तरह अमरीका ने जापान के संविधान में 'अनुच्छेद 9'  नामक पेंच डाल दिया है। जिसके मुताबिक जापान किसी देश पर दोबारा कभी हमला नहीं कर सकता। बदले में अमेरिका ने जापान की पूरी सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने कंधे पर ले रखी है। जिस देश और संविधान पर इतनी सारी पाबंदियां हों, उसके नागरिकों के मूल अधिकार और कर्तव्य का हो सकते हैं समझा जा सकता है। जापान के संविधान के चैपर तृतीय में वहां के नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य स्पष्ट किए गए हैं। इसके अनुच्छेद 12 के अनुसार इस संविधान द्वारा दी गई स्वतंत्रता और अधिकारों को लोगों द्वारा निरंतर प्रयास द्वारा बनाए रखा रखना होगा और उन्हें इन स्वतंत्रता के किसी भी दुरुपयोग से बचना होगा। यह उनका कर्तव्य होगा कि हमेशा जन कल्याण के लिए अपने अधिकारों और स्वतंत्रता का उपयोग करने के लिए जिम्मेदार रहें। अनुच्छेद 25 कहता है कि सभी लोगों को स्वस्थ आचरण और संस्कृति के न्यूनतम मानकों को बनाए रखने का अधिकार होगा।  जीवन के सभी परिक्षेत्र में, राज्य कल्याण और सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए अपना पूरा प्रयास करेगा। प्रत्येक व्यक्ति को अपना निवास चुनने और बदलने और अपना व्यवसाय चुनने की उस हद तक स्वतंत्रता होगी, जहां वह लोक कल्याण में हस्तक्षेप नहीं करता हो। अनुच्छेद 26 कहता है कि सभी लड़के लड़कियों को कानून के अनुसार प्रदान सुविधा के अनुसार शिक्षा प्रदान करनी होगी।  यह अनिवार्य शिक्षा निशुल्क होगी। यानी कि सभी नागरिकों का कर्तव्य है कि वे अपने बच्चों को अनिवार्य रूप से शिक्षा दिलाएं। अनुच्छे 27 कहता है कि सभी लोगों को काम करने का अधिकार और दायित्व होगा। बच्चों का शोषण नहीं होगा। यानी कि किसी भी हाल में वे बच्चों का शोषण नहीं कर सकते। यह उनका कर्तव्य है।

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