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सोर्स : गूगल इमेजेज |
भारत में नागरिकता कानून
में मुसलमानों के साथ कोई नाइंसाफी नहीं है। हमारे देश में नागरिकता को लेकर बहुत
ही स्पष्ट कानून है। जरूरत के मुताबिक समय के साथ-साथ गत 70 वर्षों में कई बार
इसमें कई बार संशोधन हुआ है।
लेकिन कभी भी मुसलमानों के साथ कोई अन्याय नहीं हुआ
है। नियमानुसार बाहर से आने वाले मुसलमानों को नागरिकता प्रदान की जा रही है।
लेकिन अब नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। क्योंकि
बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों
के लिए समयावधि में छूट देते हुए छह साल में ही नागरिकता प्रदान किए जाने का
प्रावधान किया गया है। इस कानून का भारत के मुस्लिम नागरिकों से कोई लेना देना
नहीं है। बावजूद इसके विपक्षी पार्टियां उनमें भय पैदा कर रही हैं। उन्हें भड़का
रही हैं। उनके मन में बैठाया जा रहा है कि यह कानून मुसलमानों के खिलाफ है। यदि यह
लागू हो गया तो देश में नागरिकता रजिस्टर और जनसंख्या रजिस्टर भी लागू होगा। मतलब
यह कि जो कानून अभी अस्तित्व में ही नहीं आया है, उसे लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है।
लेकिन हम यह पूरे दावे के साथ कह सकते हैं कि भारत में नागरिकता कानून में
मुसलमानों के साथ कोई नाइंसाफी नहीं हो रही है।
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