3/28/2020

रामायण धारावाहिक एक बार फिर दर्शकों को भक्ति में करेगा सराबोर

सोर्स : गूगल इमेजेज

देश में कोरोना वायरस के संक्रमण ने लोगों को घरों में सीमित रहने के लिए मजबूर कर दिया है। तमाम लोगों के दिन मुश्किल से कट रहे हैं। लोगों को घरों में ही सिमट कर रहने के लिए तमाम स्तर पर तमाम प्रयास हो रहे हैंकोई आनलाइन अंताक्षरी खेल रहा है तो कोई गेम, कोई यूट्यूब पर समय बिता रहा है तो कोई टीवी के कार्यक्रमों के सहारे दिन गुजार रहा है।
बच्चों के लिए भी तमाम लोगों ने आनलाइन तमाम पहल की है। इसी क्रम में एक सरकारी पहल हुई है। वह है 32 साल पहले दूरदर्शन पर प्रसारित हो चुका धारावाहिक  रामायण का पुनर्प्रसारण। इस धारावाहिक का प्रसारण 25 जनवरी 1987 को शुरू हुआ था और 78 कड़ियों का यह धारावाहिक 31 जुलाई 1988 को समाप्त हुआ था।  इस धारावाहिक का निर्माण, लेखन और निर्देशन रामानंद सागर ने किया था। यह प्राचीन भारतीय धर्मग्रंथ रामायण का टीवी रूपांतरण है। जो कि मूल रूप से  वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास रचित रामचरित मानस पर आधारित है। इसका कुछ भाग कंबन की कंबन रामायण और अन्य ग्रंथों से भी लिया गया है।

क्या चल पाएगा पहले वाला जादू

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केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि सीरियल का पहला एपिसोड सुबह 9 बजे और दूसरा एपिसोड रात 9 बजे प्रसारित किया जाएगा। यह 28 मार्च से शुरू हो जाएगा। लेकिन यह सोचने वाली बात होगी कि क्या यह सीरियल आज के जमाने में भी वैसा ही जादू कर सकेगा जैसा 32 साल पहले किया था। क्योंकि तब दूरदर्शन भारत में चलने वाला एकमात्र टेलीविजन चैनल हुआ करता था। आज सैकड़ों चैनल चल रहे हैं। जिसमें हर तरह के दर्शकों के लिए अलग अलग श्रेणी के कार्यक्रम प्रसारित हो रहे हैं। इसके अलावा दुनिया इंटरनेट टीवी और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स आदि भी पूरी तरह सक्रिय हैं। आज हर घर में कम से कम एक टीवी तो मिल ही जाएगा, लेकिन उस जमाने में किसी-किसी के पास ही टेलीविजन होता था। यही कारण था कि जिसके घर टेलीविजन होता था, उसके घर पूरा मोहल्ला इकट्ठा हो जाता था। गांवों में तो दूसरे गांवों से भी लोग पहुंच जाते थे। देखने के लिए खड़े होने भर की जगह मिल जाए, यही बहुत बात थी। ऊपर से बिजली का कोई भरोसा नहीं होता था। ऐसे में तमाम लोग बड़ी बैट्री रखते थे। लोगों पर रामायण धारावाहिक का जादू इस कदर चढ़ा हुआ था कि पूरी पूरी सड़क खाली हो जाया करती थी। केवल हिंदुओं में ही नहीं, हर धर्म के लोगों में यह काफी लोकप्रिय था। तमाम ऐसे धार्मिक प्रवृत्ति के दर्शक थे जो धारावाहिक शुरू होने से पहले टीवी की पूजा करते थे। प्रत्येक व्यक्ति जिसकी टीवी तक पहुंच थी, अपना सब कामकाज छो़ड़कर इस धारावाहिक को देखने के लिए रुक जाता था। रेलगाडियां, बसें तक इस धारावाहिक के प्रसारण के दौरान रुक जाती थीं।

सीरियल कलाकारों की होती थी पूजा

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दर्शक भगवान श्रीराम की आस्था में इस कदर डूब चुके थे कि इस सीरियल में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल और सीता का किरदार निभाने वाली दीपिका चिखलिया की पूजा तक करने लगीं थी। दर्शकों के बीच इनकी छवि इस कदर घर कर गई कि इन कलाकारों को किसी अन्य भूमिका में लोगों ने स्वीकार ही नहीं किया। यही कारण था कि इतना अच्छा कलाकार होते हुए भी इन कलाकारों को इंडस्ट्री में बेहतर ढंग से जमने का मौका नहीं मिला।  

दूरदर्शन पर लौटेंगे लोग?

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एक बात तो तय है कि अगर रामायण धारावाहिक एक बार फिर दर्शकों को अपनी ओर खींचने में कामयाब रहा तो तो दूरदर्शन के दिन बहुर जाएंगे। क्योंकि महाभारत, चाणक्य, चंद्रकांता, जंगलबुक जैसे न जाने कितने सीरियल थे, जिन्होंने अपने समय में धूम मचाई थी।  
विश्व कीर्तिमान
उस जमाने में रामायण, भारत और विश्व टेलीविज़न इतिहास में सबसे अधिक देखा जाने वाला कार्यक्रम बन गया था। बाद में बी आर चोपड़ा के महाभारत का प्रसारण होने पर यह खिताब उसके पास पहुंच गया। लेकिन बाद में रामायण के पुनः प्रसारण और वीडियो प्रोडक्शन के कारण इसने फिर लोकप्रियता हासिल की। लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में जून 2003 तक यह "विश्व के सर्वाधिक देखे जाने वाले पौराणिक धारावाहिक" के रूप में सूचीबद्ध था। एक बार फिर यह धारावाहिक दर्शकों के सामने प्रस्तुत होने जा रहा है।

धारावाहिक के कलाकार

अभिनेता/अभिनेत्री         पात्र
अरुण गोविल            श्रीराम
दीपिका                 सीता
सुनील लहरी             लक्ष्मण
संजय जोग              भरत
समीर राजदा             शत्रुघ्न
दारा सिंह               हनुमान
बाल धुरी               दशरथ
जयश्री गडकर           कौशल्या
रजनीबाला              सुमित्रा
पद्मा खन्ना             कैकयी
ललिता पवार            मन्थरा
अरविन्द त्रिवेदी          रावण
विजय अरोड़ा            इन्द्रजीत
मुलराज राजदा           जनक
सुधीर दाल्वी             वशिष्ठ
चंद्रशेखर                सुमंत्र

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