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भारत
वास्तव में बहुत अनोखा देश
है। इतने उतार-चढ़ाव
से गुजरा है कि हर तरह की मुसीबतों
से बचाव का रास्ता इसने खोज
लिया है। पर मुश्किल यह है कि
यह हमें तब याद आता है,
जब मुसीबतों
से बाहर निकलने का कोई रास्ता
हमें नहीं सूझता।
आज पूरी
दुनिया के सामने जो सबसे बड़ा
संकट है वह है कोरोना वायरस।
भारत भी इसकी चपेट में आ चुका
है। हालांकि भारत में इस बीमारी
पर काफी नियंत्रण है,
लेकिन चीन,
इटली या
अन्य देशों की तरह भारत भी
इसकी भीषण चपेट में न आ जाए,
इसके लिए
केंद्र औऱ राज्य सरकारों ने
उपाय शुरू कर दिए हैं। स्वास्थ्य
महकमा चौकस कर दिया गया है।
संक्रमण फैलने से बचाव के सारे
रास्ते अपनाए जा रहे हैं,
लेकिन आम
जनता पूरी तरह से सहयोग करने
को तैयार नहीं दिखती। यहां
तक कि संक्रमण से पीड़ित भी
खुलेआम घूमने से परहेज नहीं
कर रहे हैं। वे अस्पतालों से
भाग रहे हैं। अस्पताल जाने
में आना-कानी
कर रहे हैं। बीमारियां छिपा
रहे हैं। ऐसे में सबसे कारगर
हथियार बन सकता है महामारी
रोग अधिनियम 1897
(Epidemic Diseases Act-1897)।
कहने को यह कानून 123
साल पुराना
है, लेकिन
मौजूदा समय में देश में इससे
ज्यादा कारगर दूसरा कानून
नहीं है। यह कानून राज्य एवं
केंद्र सरकार को किसी महामारी
का प्रसार रोकने के लिए अतिरिक्त
शक्तियां प्रदान करता है।
केंद्र सरकार के निर्देश पर
राज्यों ने इस कानून को लागू
करना शुरू कर दिया है। इसमें
सरकारी आदेश न मानने पर गिरफ्तारी
एवं सजा तक देने का प्रावधान
है। इस कानून का इस्तेमाल तब
किया जाता है,
जब लगता है
कि किसी महामारी को रोकने के
लिए सामान्य कानून पर्याप्त
नहीं है। इस कानून को मुंबई
में फैली प्लेग की महामारी
से निपटने के लिए बनाया गया
था।महामारी क्या है
जब
किसी रोग का प्रकोप कुछ समय
पहले की अपेक्षा बहुत अधिक
होता तो उसे महामारी
या
'जानपदिक
रोग'
(epidemic) कहते
हैं। महामारी
किसी एक स्थान पर सीमित होती
है। किन्तु यदि यह दूसरे देशों
और दूसरे महाद्वीपों में भी
फैल
जाए तो उसे 'सार्वदेशिक
रोग'
(pandemic) कहते
हैं।

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