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सोर्स : गूगल इमेजेज |
मौजूदा दौर की
राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था और सिद्धांतों में प्राकृतिक अधिकार बहुत ही
महत्वपूर्ण मुद्दा है। हमें समझना होगा कि अधिकार दो प्रकार के होते हैं। इनमें से
एक है प्राकृतिक अधिकार। प्राकृतिक अधिकार वह होता है जो प्रत्येक व्यक्ति को जन्म
से ही प्राप्त होता है। इसे समाज या राज्य
द्वारा निरस्त नहीं किया जा सकता। सही कहें तो यही मानव के मूल अधिकार भी हैं,
जिन्हें मानवाधिकार कहते हैं। जैसे जीवन जीने का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, समानता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, शिक्षा का अधिकार
इत्यादि। इन अधिकारों को सामाजिक, सांस्कृतिक,
आधिकारिक या राजनैतिक नियमों और रीति-रिवाजों द्वारा
प्रतिबंधित या निरस्त नहीं किया जा सकता है। दूसरे तरह के अधिकार को विधिक
अधिकार कहते हैं, जो समाज और विधि द्वारा प्रदान किए जाते हैं। इन अधिकारों को संचालित,
प्रतिबंधित और निरस्त किया जा सकता है।
प्राकृतिक अधिकारों और इसके इतिहास को लेकर जर्मन निवासी लियो स्ट्रॉस ने पुस्तक
लिखी है-नेचुरल राइट एंड हिस्ट्री। लियो स्ट्रॉस जर्मन-अमेरिकन फिलास्फर थे। उनका
जन्म 20 सितंबर 1899 में जर्मनी में हुआ था और निधन 18 अक्टूबर 1973 को अमेरिका
में हुआ था।
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