सोर्स - गूगल इमेजेज Merry Christmas का समय आया नहीं कि बच्चों को सैंटा क्लाज का इंतजार शुरू हो जाता है। घर के बाहर मोजे टांगकर वे जल्दी जाकर सो जाते हैं। उन्हें लगता है कि सैंटा क्लाज आएंगे और उनके मोजे में कोई न कोई उपहार रखकर जाएंगे। आखिर कौन हैं ये सैंटा क्लाज और क्रिसमस के दिन बच्चों को क्यों बांटते हैं उपहार। यदि हम सैंटा क्लाज के नाम से परिचित हैं तो सैंटा क्लाज के बारे में भी जानना चाहिए। यहां प्रस्तुत है आपके लिए कुछ जानकारी-
सैंटा क्लाज (Santa Claus)
संत निकोलस को सैंटा
क्लाज (Santa Claus) के नाम से जाना जाता
है। उनका जन्म 340 ईस्वी में छह दिसंबर
को हुआ था। मान्यता के अनुसार संत निकोलस याना सैंटा क्लाज का जन्म प्रभु यीशु की मृत्यु
के 280 साल बाद तुर्किस्तान के एक
शहर मायरा में हुआ था। उनका परिवार आर्थिक रूप से बहुत संपन्न था। हालांकि बचपन में
ही उनके माता-पिता का निधन हो गया था। संत निकोलस को गरीबों से बहुत हमदर्दी थी और
वे हमेशा उनकी सहायता करने के लिए तत्पर रहते थे। प्रभु यीशु में उनकी अगाध आस्था थी।
इस आस्था के कारण ही वह पादरी बन गए। कुछ समय के बाद उन्हें बिशप बना दिया गया। आगे
चल कर उन्हें संत की उपाधि मिली। इसके बाद से लोग उन्हें संत निकोलस, क्रिस क्रींगल, क्रिसमस फादर के नाम से भी पुकारने लगे। बच्चों से उन्हें बहुत
लगाव था। उन्हें वह उपहार दिया करते थे। वह लोगों के मदद करते थे, लेकिन यह नहीं चाहते थे कि मदद करते हुए उन्हें
कोई देखे। खासतौर से गरीब बच्चों को वे आधी रात में उपहार दिया करते थे। ताकि वे उन्हें
न देख सकें।
हर चेहरे पर हो मुस्कान
अति संवेदनशील और
भावुक सैंटा क्लाज चाहते थे कि दुनिया में कोई दुखी न हो। कोई उदास न रहे, हर चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहे। इसीलिए वे गिफ्ट
बांटा करते थे।
सैंटा क्लाज की एक
छवि हमारे मन में बैठी हुई है, लेकिन किसी को नहीं पता कि आखिर वह वास्तव में कैसे
दिखते थे। वर्तमान में हम जो सैंटा क्लाज का स्वरूप देखते हैं, वह आधुनिक समय की देन है। दरअसल सन् 1822 में क्लीमेंट मूर की नाइट बिफोर क्रिसमस कविता
में सैंटा का एक रेखाचित्र प्रकाशित हुआ था। लाल और सफेद रंग की पोशाक, सफेद बाल, बड़ी-बड़ी दाढ़ी वाला एक बुजुर्ग और कंधे पर टंगा गिफ्ट्स से
भरा झोला। इसी चित्र का लोग वास्तविक स्वरूप में कल्पना करने लगे। आज सैंटा क्लाज को
हम इसी रूप में देखते हैं।
कहा जाता है कि फिनलैंड
में सांता क्लाज का आधिकारिक गांव भी है। इस गांव का नाम रोवानिएमी है जहां सैंटा क्लाज
का बाकायदा एक दफ्तर भी बताया जाता है, जहां के पते पर दुनियाभर से बच्चे और लोग चिट्ठियां भेजते हैं। यह गांव पूरे वर्ष
बर्फ से ढका रहता है। यहां सैंटा भी रहते हैं, सैंटा के रूप में रहने वाले व्यक्ति इन चिट्ठियों को पढ़ कर
उनका जवाब भी भेजते हैं।
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