4/24/2020

अब आम के आम तो रहेंगे, लेकिन गुठलियों के दाम नहीं मिलेंगे

बिना गुठली का आम (सोर्स : गूगल इमेजेज)
समय के साथ काफी कुछ बदल जाता है। आम यानी mango के मामले में तो इतना समय बदल गया है कि लोकोक्ति ही बदल गई है। पहले कहते थे आम के आम गुठलियों के दाम, लेकिन अब गुठलियों के दाम नहीं मिलेंगे, क्योंकि आम में गुठली होगी ही नहीं।
जी हां, सही सुना आपने। गुठली रहित आम (seedless mango) का उत्पादन होगा। गुजरात में एक किसान ने दो प्रजातियों को मिलाकर आम की एक नई नस्ल तैयार की है, जिसमें गुठली ही नहीं होगी। .यानी गुठली रहित आम (seedless mango) का उत्पादन होगा। हालांकि कोंकण कृषि विद्यापीठ के विशेषज्ञ पहले कर चुके हैं इस प्रकार के आम का उत्पादन लेकिन वह लोकप्रिय नहीं हो सका। न ही बाजार में ऐसे आम (mango) आए।

सौराष्ट्र के किसान बिना गुठली के आम उगाने में पाई सफलता

गुजरात के सौराष्ट्र में आम की पैदावार बड़े पैमाने पर होती है। वहां अप्रैल से फलों के राजा आम का सीजन शुरू हो जाता है। यह सीजन जून-जुलाई तक चलता है। यहां सासण गीर अनिल फॉर्म के मालिक हैं शमशुद्दीन, जो पिछले कई साल से आम की रत्ना, हाफुस, केसर व अन्य देसी नस्ल की पैदावार ले रहे हैं। लेकिन इस दिशा में वह कुछ नया करना चाहते थे, इसलिए वह लगातार प्रयोग भी करते रहते थे। उनकी इच्छा थी कि बिना गुठली (seedless mango) के आम का वह उत्पादन करें। वह कई साल से इस कार्य में लगे हुए थे। लगातार शोध के बाद अब उन्हें सफलता मिली है। इस बार उन्होंने गुठली रहित आम की पैदावार में सफलता हासिल की है। शमशुद्दीन का कहना है कि कोंकण कृषि विद्यापीठ के विशेषज्ञ गुठली रहित आम की प्रजाति पर वर्षों तक काम करने के बाद सफलता पा चुके थे। उसी तर्ज पर शमशुद्दीन ने रत्ना व हाफुस आम की संकर प्रजाति विकसित की और उसकी पैदावार भी अब लगभग तैयार है। 

गुजरात में पहली बार बिना गुठली का आम तैयार

शमशुद्दीन ने बताया कि गुजरात में पहली बार गुठली रहित आम (seedless mango) तैयार हुए हैं। इसके फल में बीज तो होते हैं, लेकिन उनके ऊपर की कड़ी परत नहीं होती। हालांकि, इसका स्वाद अगले माह ही मिल पाएगा। 

दुनिया के नौ देशों में आम का सबसे अधिक उत्पादन

आम को यूं ही फलों का राजा नहीं कहते, बल्कि यह रूप, रंग, गंध और स्वाद में बेजोड़ होता है। दुनिया के नौ ऐसे देश हैं जहां सबसे अधिक आम का उत्पादन होता है। आम उत्पादन के मामले में भारत प्रथम स्थान पर है। यहां हर साल 1.87 करोड़ लाख टन आम की पैदावार होती है। मतलब यह कि दुनिया का 41 प्रतिशत आम भारत में ही पैदा होता है। इतना ही नहीं, भारत प्रतिवर्ष 50 देशों को 5276.1 करोड़ टन आम एक्सपोर्ट करता है। आम उत्पादन के मामले में चीन दूसरे स्थान पर है। वहां हर साल 47 लाख टन आम पैदा होता है। आम उत्पादन के मामले में तीसरे स्थान पर थाईलैंड है। यहां हर वर्ष 34 लाख टन आम पैदा होता है। मध्य अमेरिकी देश मेक्सिको कई देशों में वह आम निर्यात करता है। मेक्सिको में प्रति वर्ष लगभग 22 लाख टन आम पैदा होता है। आम उत्पादन के मामले में यह दुनिया में चौथे स्थान पर है। इसी तरह इंडोनेशिया हर साल 21 लाख टन आम का उत्पादन कर पांचवें स्थान पर है तो पाकिस्तान हर साल 15 लाख टन आम का उत्पादन कर छठे स्थान पर है। ब्राजील में हर साल 14.5 लाख टन से ज्यादा आम की पैदावार होती है। आम पैदावार के मामले में यह दुनिया में सातवें स्थान पर है। अमेरिका और यूरोप के कई देशों में आम ब्राजील से ही निर्यात होते हैं। अफ्रीकी महाद्वीप में मिस्र में आम का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है। मिस्र में हर साल 12.5 लाख टन आम का उत्पादन होता है। यह आम उत्पादन के मामले में दुनिया में आठवें स्थान पर है। बांग्लादेश भी भले ही छोटा सा देश है, लेकिन आम उत्पादन के मामले में दुनिया में यह नौवें स्थान पर है। बांग्लादेश में हर साल 11.5 लाख टन से ज्यादा आम का उत्पादन होता है।  

आम होता है बहुत गुणकारी

आम फलों का राजा तो है ही, यह बहुत ही गुणकारी भी होता है। आयुर्वेदिक मतानुसार आम के पंचांग (पांच अंग) काम आते हैं। यानी आम के पांच हिस्से हमारे काम आते हैं। सबसे पहले अंतर्छाल की बात करें तो, आम की अंतर्छाल का क्वाथ प्रदर, खूनी बवासीर तथा फेफड़ों या आंत से रक्तस्राव होने इस्तेमाल किया जाता है। इसके छाल, जड़ तथा पत्तों की बात करें तो ये मलरोधक, वात, पित्त तथा कफ का नाश करनेवाले होते हैं। माना जाता है कि पत्ते बिच्छू के काटने में तथा इनका धुआं गले की कुछ बीमारियों तथा हिचकी में लाभदायक है। फूलों का चूर्ण या क्वाथ अतिसार तथा संग्रहणी में उपयोगी माना जाता है। आम का बौर शीतल, वातकारक, मलरोधक, अग्निदीपक, रुचिवर्धक तथा कफ, पित्त, प्रमेह, प्रदर और अतिसार को नष्ट माना जाता है। अब फल की बात करें तो कच्चा फल कसैला, खट्टा होता है। यह वात पित्त को उत्पन्न करनेवाला, आंतों को सिकोडऩेवाला, गले की बीमारियों को दूर करनेवाला तथा अतिसार, मूत्रव्याधि और योनिरोग में लाभदायक माना जाता है। अब पके आम की बात करें तो यह मधुर, स्निग्ध, वीर्यवर्धक, वातनाशक, शीतल, प्रमेहनाशक तथा व्रण श्लेष्म और रक्त की बीमारियों को दूर करनेवाला होता है। इतना ही नहीं, आम श्वास, अम्लपित्त, यकृतवृद्धि तथा क्षय में भी काफी कारगर माना जाता है। आम में विटामिन ए और सी पाए जाते हैं।

 भारत में आम की किस्में

भले ही अब आम बिना गुठली (seedless mango) के भी उत्पादित किए जाने लगे हैं, लेकिन गुठली वाले आमों की बात ही कुछ और है। आम के आम और गुठलियों के दाम यूं ही नहीं कहे गए हैं। भारत में आम की अनेक प्रजातियां हैं। जिनका उत्पादन देश के अलग अलग हिस्सों में किया जाता है। आम के किस्मों की बात करें तो अल्फॉन्सो, केसर, किशनभोग, जर्दालू, दशहरी, नीलम, फजरी, फर्नांडीन, बाम्बे ग्रीन या बंबइया, तोतापरी (बंगलोरा), बैंगनपल्ली, मनकुरद, मलगोवा, समरबहिश्त चौसा, स्वर्णरेखा, हिम सागर, लंगड़ा, सुकुल, वनराज, सीपिया, बथुआ, मालदा, पैरी, सफ्दर पसंद, सुन्दरी, राजापुरी. अलंपुर बानेशन, गुलाब ख़ास, आम्रपाली (आम), रूमानि, सफेदा लखनऊ, मुलगोआ आदि किस्मों के आम का उत्पादन भारत में होता है।

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