4/05/2020

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए पाकिस्तान ने बनाए कब्रिस्तान

आज कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को जिस तरह से अपने शिकंजे में ले लिया है, उससे सारे देश त्रस्त और पस्त हैं। इससे लड़ने का हर किसी का अपना-अपना तरीका है। इसकी वजह यही है कि अभी तक इसके इलाज का कोई कारगर तरीका नहीं ढूंढ़ा जा सका है।
ऐसे में इससे बचाव को ही सबसे आसान तरीका समझा जा रहा है। लेकिन मजेदार बात यह है कि हर देश के तरीके में फर्क है। 
सोर्स : गूगल इमेजेज

सबसे अनोखा तरीका पाकिस्तान का

पाकिस्तान में भी कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। वहां अब तक ढाई  हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। कोरोना वायरस से देशवाशियों को बचाने के लिए पाकिस्तान कुछ भी नहीं कर रहा है। लॉकडाउन के लिए तो उसने साफ मना कर दिया है। उसका कहना है कि इससे उसकी अर्थव्यवस्था चौपट हो जाएगी। दूसरी ओर सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करने की बजाय वहां के मुल्ला-मौलवी लोगों से आह्वान कर रहे हैं कि नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद में ज्यादा से ज्यादा लोग इकट्ठे हों। इससे कोरोना वायरस भाग जाएगा। वहां की सरकार ने भी कम अनूठा काम नहीं किया है। इलाज के साधन उपलब्ध कराने की बजाय तमाम बड़े शहरों में कब्रिस्तान की व्यवस्था करनी शुरू कर दी है। इन कब्रिस्तानों में केवल कोरोना वायरस से मृतकों को ही दफनाया जाएगा। पाकिस्तान के न्यूज चैनल एआरवाई के मुताबिक सिंध सरकार ने कोरोना वायरस से मृतकों को दफनाने के लिए कराची में 80 एकड़ की जमीन आवंटित कर दी है। वहां कोरोना वायरस से मृतकों को दफनाना भी शुरू कर दिया है। सरकार कोरोना वायरस से मृतकों के लिए अलग कब्रिस्तान इसलिए बनवा रही है, ताकि संक्रमण बढ़ने का खतरा न बढ़े। यह कब्रिस्तान कराची शहर के नेशनल हाइवे और सुपर हाइवे के लिंक के पास स्थित है। कराची के मेयर वसीम अख्तर ने एक बयान में कहा है कि कोरोना वायरस से मृतकों को दफनाने के लिए कराची में पांच कब्रिस्तान की व्यवस्था की गई है।
सोर्स : गूगल इमेजेज

स्वीडन ने पकड़ी अलग राह

कोरोना वायरस से बचने के लिए स्वीडन ने अलग ही राह पकड़ी है। एक तरफ जहां, डेनमार्क और नॉर्वे ने अपनी सीमाएं सील कीं, रेस्तरां और स्की स्लोप्स बंद किए तथा सभी छात्रों को इस महीने घरों में ही रहने को कहा। वहीं स्वीडन ने सिर्फ हाई स्कूल और कॉलेजों को बंद किया। वहीं प्री-स्कूल, ग्रेड स्कूल, पब, रेस्तरां तथा सीमाओं को खुला रखा। दरअसल, स्वीडन ने कारोबार के लिए सब कुछ खुला रखा, जबकि अन्य देशों ने कोरोना के प्रकोप से बचने के लिए विभिन्न तरीकों से कई कदम उठाए। इस मामले में डेनमार्क के एक अखबार 'पोलिटिकन ने सवाल उठाया है कि क्या स्वीडन कोरोना संकट को गंभीरता से नहीं ले रहा है? स्वीडन के नेता और स्वास्थ्य अधिकारी इस विश्व व्यापी संक्रामक रोग से बचने के लिए हाथ धोने, शारीरिक दूरी बनाये रखने तथा 70 साल से अधिक उम्र के लोगों से संपर्क को सीमित करने जैसे उपायों पर जोर दे रहे हैं। लेकिन राजधानी स्टॉकहोम के कैफै में अलग ही नजारा दिखता है। लोग सामान्य तौर पर दो या ज्यादा की संख्या में एकसाथ दिख जाएंगे। मैदान, रेस्तरां, जिम, मॉल्स तथा स्की स्लोप्स- सभी चल रहे हैं। देश के महामारी विशेषज्ञ एंडर टेंगनेल के मुताबिक, स्वीडन का तरीका लोगों से आत्म संयम की अपील तथा जिम्मेदारी का एहसास कराने वाला है। हम इसी प्रकार से काम करते हैं। संक्रामक रोग पर काबू करने का हमारा पूरा सिस्टम स्वैच्छिक है। टीकाकरण सिस्टम भी पूरी तरह से स्वैच्छिक है फिर भी इसका कवरेज 98 फीसद है। वह कहते हैं कि आप उन्हें विकल्प दें कि उनकी जिंदगी के लिए क्या बेहतर है। हमारा अनुभव है कि यह बहुत अच्छे तरीके से काम करता है। मजेदार बात यह है कि स्वेन्सका डगब्लाडेट अखबार ने एक सर्वे में बताया है कि 52 फीसद स्वीडिश वायरस की रोकथाम के लिए किए गए उपायों का समर्थन करते हैं। लेकिन 14 फीसद लोग मानते हैं कि अर्थव्यवस्था के फायदे के लिए जन स्वास्थ्य पर बहुत कम ध्यान दिया गया। देश में लोगों की यात्राओं को लेकर भी चिंता बढ़ रही है।

कई देशों में है सख्ती

कोरोना वायरस से निपटने के लिए कुछ देशों ने बहुत सख्त रणनीति अपनाई है। भारत ने देश भर में 21 दिनों का संपूर्ण लॉकडाउन घोषित किया है। जर्मनी ने परिवार को छोड़कर दो या अधिक लोगों के इकट्ठे होने पर पाबंदी लगाई है। फ्रांस में तो घर से बाहर निकलने के लिए निवासियों से मकसद बताने का फॉर्म भरवाया जाता है और हर बार नया फॉर्म भरना होता है। ब्रिटेन ने लोगों को घरों में ही रहने की नसीहत देने के लिए पुलिस बल को तैनात कर रखा है। 

स्वीडन की राह पर नीदरलैंड्स

दूसरी ओर, नीदरलैंड्स में अब तक लगभग 12 सौ लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन वह भी स्वीडन जैसा ही रवैया अपना रहा है। प्रधानमंत्री मार्क रूट्टे ने कहा कि 1.71 करोड़ की आबादी वाला उनका देश गंभीर रूप से बीमार पडऩे के कम जोखिम वाले समूह में 'नियंत्रित प्रसार के विकल्प पर चल रहा है। उन्होंने दलील दी कि देश को 'पूरी तरह से बंद करने में बहुत देर हो चुकी है।   

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।