11/14/2018

जुबान संभाल के, आपकी छवि बिगाड़ सकता है आपके बोलने का तरीका



सुंदर या आकर्षक होना या दिखना ही सबकुछ नहीं होता। आपके व्यक्तित्व का यह एक पहलू है। जो बाहरी तौर पर दिखाई देता है, यह अस्थाई भी होता। आपके व्यक्तित्व का वास्तविक आकलन आपके बोलने के तरीके से होगा। आपके व्यक्तित्व से कोई व्यक्ति उस समय रूबरू हो जाएगा, जब आप उनसे कुछ बोलेंगे और बात करेंगे यानी कि जब कोई व्यक्ति आपकी बोली और आवाज सुनेगा। निश्चित रूप से अगर उसे आपकी बातों का अंदाज या तौर तरीका पसंद नहीं आया, तब आपकी एक गलत छवि उनकी नजरों में बन जाएगी।
हो सकता है आप इसकी परवाह न करते हों। अपने आपको ही ठीक मानते हों, लेकिन लंबे समय तक या एक परिपक्व इंसान के रूप में किसी भी रूप में यह आपके लिए फायदेमंद सौदा नहीं होगा। इसलिए बेहतर तो यही है कि अपने बोलचाल के अंदाज को सुधारा जाए। इसी तरह चाहे आप अंदर से कितने ही अच्छे विचार वाले व्यक्ति हों, लेकिन अपने विचारों को सही तरीके से दूसरों तक पहुंचाना भी आपको जरूर आना चाहिए तभी आपका व्यक्तित्व और बोली हुई बात प्रभावी होगी। आइए जानते हैं कि बोलने से पहले और बोलते समय आपको किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए :-

1. सबसे पहल अपनी आवाज पर ध्यान दें।  बहुत ऊंचे स्वर में चिल्ला-चिल्लाकर न बोलें। यह बहुत अच्छा नहीं माना जाता।
2. बोलते समय विषय का पर्याप्त ज्ञान हो इसका ध्यान रखें। बेहतर तो यही होगा कि ज्यादा से ज्यादा अध्ययन का प्रयास करें।

3. बिना सोचे-समझे कभी भी कुछ भी न बोलें। बोलते समय अवसर व स्थान का विशेष ध्यान रखें। बाजार, अस्पताल आदि में धीरे बोलें।

4. कई बार लोग दूसरों के बीच में ही अनावश्यक रूप से बोलना शुरू कर देते हैं। दो लोगों के बीच कभी न बोलें। न ही बिन मांगे अपनी सलाह दें।

5. दूसरों की बात ध्यान से सुनें, तभी बोलें। साथ ही उनकी रुचि का ध्यान रखकर बोलें। दूसरों की बात सुनना भी एक कला है। पूरी बात सुनकर ही जवाब देना बेहतर होता है।  

6. बोलते समय बेवजह न हाथ नचाएं, न आंखें मटकाए न दूसरों को छुएं या हाथ मारें। अक्सर कई लोग ऐसा करते हैं। ऐसे लोगों से लोग दूर ही रहना पसंद करते हैं। यह अच्छी आदत भी नहीं मानी जाती है।

7. कुछ खाते हुए कभी न बोलें। बोलते समय थूक के छींटें दूसरों पर न उड़ाएं। अक्सर ऐसा करते हुए कई लोगों को देखा जा सकता है। यदि आपके सामने भी कोई ऐसा करे तो आपको भी बुरा लगेगा, फिर आप ऐसा दूसरों के सामने क्यों करें।

8. किसी दूर खड़े व्यक्ति से दूर से ही चिल्लाकर बात करने की कोशिश न करें, पास जाकर बोलें।

9. बच्चों के स्कूल में उनकी अध्यापिकाओं आदि से शिष्टाचार से बोलें। अनावश्यक हेकड़ी या टशन दिखाने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। क्योंकि इससे आपकी छवि तो बिगड़ेगी ही, बच्चे पर भी अच्छा प्रभाव नहीं पड़ेगा।

10. अपने उच्चाधिकारी होने का मान करते हुए अपने मातहतों को तुच्छ न समझें।
11. बच्चों के सामने उनके टीचर्स व रिश्तेदारों के लिए अपशब्द न कहें।


12. अपने पद की गरिमा बनाए रखें एवं ऐसी स्थिति से बचें कि आपसे छोटा व्यक्ति आपको जवाब दे जाए।

13. सेवक या किसी भी बाहरी व्यक्ति से अपने घर की बातें न करें, न ही उनके सामने बहस व गाली-गलौज करें।

14. अपनी गलत बात को सही सिद्ध करने के लिए बहस न करें। न ही चिल्ला-चिल्लाकर उसे सही सिद्ध करने की कोशिश करें। क्योंकि गलत तो गलत ही रहता है, चाहे जितने भी ऊंचे स्वर में बोलें, वह सही नहीं हो सकता।

15. अपने से बड़ों के लिए अपशब्द उनकी पीठ पीछे भी न कहें। खुद आपके लिए भी कोई ऐसा करेगा तो आपको अच्छा नहीं लगेगा।

16. किसी के मुंह से निकली बात का मजाक अन्य लोगों के सामने न उड़ाएं। न ही भरी महफिल में किसी को शर्मिंदा करें। किसी की कमियों पर कभी न हंसें। न ही उसका उपहास उड़ाएं।

17. एक-दूसरे की बात इधर से उधर न करें। एक कान से सुनें, दूसरे से निकाल दें। चुगली करना या बातों को बढ़ा चढ़ाकर अथवा नमक मिर्च लगाकर इधर उधर करना आपके प्रति लोगों का विश्वास कम करेगा।
18. इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर आप अपने व्यक्तित्व को आकर्षक बना सकते हैं। यह आप पर निर्भर करता है कि इसका पालन करके आप अपने आपमें क्या तब्दीली ला सकते हैं।

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